झारखंड में सुरक्षाबलों की दबिश की वजह से नक्सली दम तोड़ रहे हैं

क्राइम संवाददाता द्वारा

रांचीः झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ जिस तरह से अभियान चलाया जा रहा है, उसे देखकर एक बात तो स्पष्ट हो चला है कि भविष्य में शायद कोई ऐसा नक्सली बचे जिसके सिर पर एक करोड़ का इनाम घोषित किया जा सके. फिलहाल झारखंड में मात्र तीन एक करोड़ के इनामी नक्सली बचे हैं, जबकि एक ऐसा भी है जो करोड़पति बनने की राह पर है.
झारखंड में अब मात्र तीन ऐसे नक्सली बच गए हैं जिनके सिर पर एक-एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित है. पूर्व में पांच नक्सलियों के ऊपर एक-एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित था, लेकिन एक के गिरफ्तार होने और एक के एनकाउंटर में मारे जाने के बाद अब मात्र 3 नक्सली ही झारखंड में बचे जिन पर करोड़ रुपए का इनाम है.
गौरतलब है कि सोमवार को झारखंड में भाकपा माओवादियों के सेंट्रल कमेटी सदस्य प्रयाग मांझी उर्फ विवेक समेत पूरे दस्ते के सफाए से उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल में एक ही झटके में माओवादी संगठन का खात्मा हो गया. विवेक झारखंड पुलिस के द्वारा मार गिराया गया पहला एक करोड़ का इनामी था. इससे पहले झारखंड पुलिस ने एक करोड़ के इनामी नक्सली को गिरफ्तार करने में ही कामयाबी पाई थी.
झारखंड में अब मात्र तीन नक्सली बच गए हैं, जिनके सिर पर एक करोड़ का इनाम घोषित है. उनमें पहला नाम भाकपा माओवादियों के ईआरबी सचिव मिसिर बेसरा का है. दूसरा सेंट्रल कमेटी मेंबर पतिराम मांझी और तीसरा आकाश मंडल उर्फ अनमोल है. तीनों के सिर पर एक एम करोड़ का इनाम घोषित है और सबसे खास बात यह है कि के तीनों ही कोल्हान में एक्टिव हैं, लेकिन तीनों सुरक्षा बलों के निशाने पर हैं.
झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान संजय आनंद लाटकर ने बताया कि विवेक के मारे जाने के बाद अब मात्र तीन ऐसे नक्सली बच्चे हैं जिनके ऊपर एक-एक करोड़ का इनाम घोषित है. वहीं डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि एनकाउंटर में बच निकले प्रवेश के ऊपर भविष्य में एक करोड़ रुपए का इनाम घोषित किया जा सकता है. इसके अलावा ऐसा कोई नक्सली झारखंड में नहीं बचा है, जो अब एक करोड़ के इनाम के दायरे में भविष्य में आएगा.
झारखंड के नक्सली इतिहास में जिस तरह से सबसे बड़ा एनकाउंटर विवेक का था. उसी तरह सबसे बड़ी गिरफ्तारी प्रशांत बोस की थी. प्रशांत बोस के ऊपर एक करोड रुपए का इनाम था. भाकपा माओवादियों का सेकेंड इन कमान प्रशांत बोस माओवादियों के सभी ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो का प्रमुख था.
ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के अधीन ही झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़ व पूर्वोतर के सभी राज्य आते हैं. माओवादी संगठन में ईआरबी के प्रमुख का पद दूसरा सबसे बड़ा पद माना जाता है. यही वजह थी कि प्रशांत बोस पर एक करोड़ का इनाम घोषित था. प्रशांत बोस को 2 वर्ष पहले उसकी पत्नी के साथ गिरफ्तार किया गया था.
झारखंड के सारंडा में फिलहाल तीन नक्सली ऐसे हैं, जिन पर 1 करोड़ का इनाम घोषित है. इनके साथ 40 से 50 की संख्या में नक्सली कैडर मौजूद हैं. लेकिन सभी की घेराबंदी सुरक्षा बलों के द्वारा करके रखी गई है. इसलिए वे चाह कर भी कुछ कर नही पा रहे हैं,. जंगल से निकलते ही वे या तो पकड़े जा रहे हैं या फिर एनकाउंटर में मारे जा रहे हैं.
वर्तमान समय में कोल्हान के अलावा दूसरे जिलों में नक्सलियों की भी मौजूदगी है लेकिन वहां पर उनकी संख्या काफी कम हो गई है. कोल्हान के अलावा चतरा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा, गुमला, बोकारो और गिरिडीह में इनामी नक्सली सक्रिय हैं. जिनपर एक से लेकर 25 लाख तक के इनाम घोषित हैं.
झारखंड में भाकपा माओवादियों के नेतृत्व को लगातार बड़े बड़े झटके लग रहे हैं. भाकपा माओवादियों के सेकेंड इन कमांड प्रशांत बोस उर्फ किशन दा और माओवादियों थिंक टैंक माने जाने वाले कंचन दा उर्फ कबीर समेत दर्जनभर बड़े नक्सली नेताओं की गिरफ्तारी और दर्जन भर बड़े नक्सलियो के आत्मसमर्पण ने भाकपा माओवादियों के सामने नेतृत्व का संकट खड़ा कर दिया है. रही सही कसर एक करोड़ के इनामी विवेक के मारे जाने ने पूरी कर दी.
आलम यह है कि जब भी संगठन अपने आप को मजबूत करने की कोशिश करता है, तभी उन पर पुलिस का कड़ा प्रहार हो जा रहा है. पिछले साल चतरा में एक साथ पांच इनामी नक्सली एनकाउंटर में मारे गए थे. अब एक साथ आठ नक्सली एनकाउंटर में मारे गए, नतीजा संगठन की कमर ही टूट गई है.
दरअसल झारखंड पुलिस माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को टारगेट में रखकर अभियान चला रही है. मात्र ढाई सालों में झारखंड पुलिस के द्वारा बेहतर रणनीति के बल पर चलाए गए अभियान की वजह से भाकपा माओवादियों के शीर्ष नेतृत्व को लगातार झटके लगते रहे हैं. पुलिस के आंकड़े भी इस बात की गवाही दे रहे हैं कि झारखंड में पिछले ढाई सालों में जब कभी भी बड़े नक्सल कमांडर ने सक्रियता दिखाई, उसे उसका गंभीर परिणाम भुगतना पड़ गया.
झारखंड पुलिस मुख्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2021 से लेकर 2025 के फरवरी महीने तक कुल 1490 नक्सली गिरफ्तार हुए. इनमें कई बड़े नाम भी शामिल है. जिनकी गिरफ्तारी से संगठन को बड़ा झटका लगा. बड़े नक्सलियों को टारगेट कर अभियान चलाने की शुरुआत 2020 से शुरू हुई थी. इस दौरान कई बड़े और इनामी गिरफ्तार किए गए.
प्रशांत बोस, इनाम एक करोड़, रूपेश कुमार सिंह (सैक मेम्बर) प्रभा दी, इनाम 10 लाख, सुधीर किस्कू, इनाम 10 लाख, प्रशांत मांझी, इनाम 10 लाख, नंद लाल मांझी, इनाम 25 लाख, बलराम उरावं, इनाम 10 लाख.
झारखंड में भाकपा माओवादियों को ताकतवर बनाने वाले कई बड़े नाम संगठन छोड़ कर पुलिस की शरण में आ चुके हैं. महाराज प्रमाणिक, विमल यादव, सुरेश सिंह मुंडा, भवानी सिंह, विमल लोहरा, संजय प्रजापति, अभय जी, रिमी दी, राजेंद्र राय जैसे बड़े नक्सली पुलिस के सामने हथियार डाल चुके हैं.
पुलिस के द्वारा की गई तबाड़तोड़ कार्रवाई की वजह से झारखंड के सबसे बड़े नक्सली संगठन भाकपा माओवादियों को अब उनके प्रभाव वाले इलाकों में ही बिखरने पर मजबूर कर दिया है. झारखंड में भाकपा माओवादियों के प्रभाव का बड़ा इलाका नेतृत्वविहीन हो गया है.
झारखंड, छतीसगढ़ और बिहार तक विस्तार वाला बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों के सुरक्षित गढ़ के तौर पर जाना जाता था, लेकिन अब बूढ़ापहाड़ के इलाके में पड़ने वाले पलामू, गढ़वा, लातेहार से लेकर लोहरदगा तक के इलाके में माओवादियों के लिए नेतृत्व का संकट हो गया है.
गौरतलब है कि साल 2018 के पूर्व सीसी मेंबर देवकुमार सिंह उर्फ अरविंद जी बूढ़ापहाड़ इलाके का प्रमुख था, देवकुमार सिंह की बीमारी से मौत के बाद तेलगांना के सुधाकरण को यहां का प्रमुख बनाया गया था, लेकिन साल 2019 में तेलंगाना पुलिस के समक्ष सुधाकरण ने सरेंडर कर दिया था.
इसके बाद बूढ़ा इलाके की कमान विमल यादव को दी गई थी. विमल यादव ने फरवरी 2020 तक बूढ़ापहाड़ के इलाके को संभाला, इसके बाद बिहार के जेल से छूटने के बाद मिथलेश महतो को बूढ़ापहाड़ भेजा गया था, तब से वह ही यहां का प्रमुख था, लेकिन मिथिलेश को भी बिहार में गिरफ्तार कर लिया गया. नतीजा अब सिर्फ और सिर्फ कोल्हान इलाके में ही नक्सलियों का शीर्ष नेतृत्व बचा हुआ है.

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